🧘♀️ योग — आत्मा का मिलन
योग, भारतीय दर्शन का पाँचवाँ स्तंभ है।
योग का अर्थ है — मिलन, आत्मा का परमात्मा से, व्यक्ति का ब्रह्म से, विचारों का शांति से।
"योग" शब्द 'युज्' धातु से बना है, जिसका अर्थ है: जुड़ना, एकजुट होना।
🌿 योग क्यों?
जब आप अपने विचारों पर नियंत्रण पाते हैं,
तो विचारों से परे जा सकते हैं।
विचार अक्सर बाधा बनते हैं —
योग इन बाधाओं को पार करने का मार्ग है।
📜 पतंजलि के योग सूत्र
महर्षि पतंजलि ने योग को एक विज्ञान के रूप में व्यवस्थित किया, जिसमें आत्मज्ञान के लिए आठ अंग बताए:
- 1. यम — संयम
- 2. नियम — आचार
- 3. आसन — शरीर की स्थिति
- 4. प्राणायाम — श्वास नियंत्रण
- 5. प्रत्याहार — इंद्रियों को नियंत्रित करना
- 6. धारणा — एकाग्रता
- 7. ध्यान — निर्विचार अवधान
- 8. समाधि — आत्मा का परमात्मा में विलय
“योग ध्यान को स्वयं पर वापस लाता है।”
🌀 योग के मार्ग (Schools of Yoga)
- भक्ति योग — प्रेम और समर्पण
- ज्ञान योग — आत्मबोध का मार्ग
- कर्म योग — सेवा और कर्म का शुद्धिकरण
- राज योग — ध्यान और समाधि
🧍♂️ आसन और उनकी चेतना
जब कोई कमल मुद्रा में बैठता है, तो वह कमल बन जाता है।
कोबरा पोज़ में — शरीर में सर्प जैसी चेतना आती है।
वृक्षासन में — मन वृक्ष जैसा स्थिर होता है।
हर आसन शरीर में जैविक परिवर्तन लाता है — चेतना के विस्तार का माध्यम बनता है।
🌞 आयुर्वेद और योग
आयुर्वेद योग को वात, पित्त और कफ के अनुसार वर्गीकृत करता है और उपचार में योग का वैज्ञानिक उपयोग करता है।
“योग केवल व्यायाम नहीं, मुक्ति की ओर यात्रा है।”
🔚 अंतिम लक्ष्य — समाधि
समाधि वह अवस्था है जहाँ शरीर, मन, और आत्मा एक हो जाते हैं। यही मुक्ति है, यही पूर्ण योग।