🌌 विष्णु के त्रैविध पग: ऋग्वेद में ब्रह्मांडीय प्रतीकवाद की खोज

Sanjay Bajpai
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विष्णु के त्रैविध पग: ऋग्वेद में ब्रह्मांडीय प्रतीकवाद की खोज

विष्णु के त्रैविध पग: ऋग्वेद में ब्रह्मांडीय प्रतीकवाद की खोज

ऋग्वेद में विष्णु की छवि पुराणों में उनके विस्तृत रूप से काफी भिन्न है। यहां उनका उल्लेख सीमित है, लेकिन उनकी "तीन पगों" वाली लीला अत्यंत गूढ़ है। यह त्रैविध पग प्रतीकात्मक रूप से तीन लोकों—पृथ्वी, आकाश, और स्वर्ग—में उनकी उपस्थिति को दर्शाते हैं।

ऋग्वेद में विष्णु की छवि

ऋग्वेद में विष्णु को केवल कुछ सूक्तों में उल्लिखित किया गया है, लेकिन उनकी "तीन पगों" की अवधारणा ब्रह्मांडीय क्रम का प्रतीक है। RV I.154 में कहा गया है: "मैंने उस महान पुरुष को देखा जो तीन विशाल पगों से समस्त लोकों को मापता है..."। यहां "विक्रम" और "उरुक्रम" जैसे शब्द विष्णु के ब्रह्मांडीय गति और क्रम के प्रतीक हैं।

त्रैविध पग: ब्रह्मांड के तीन लोकों का प्रतीक

विष्णु के तीन पग तीन लोकों—भूलोक (पृथ्वी), भुवर्लोक (आकाश), और स्वर्गलोक (स्वर्ग)—को दर्शाते हैं। यह अवधारणा ऋग्वेद के ब्रह्मांडीय दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है, जहां विष्णु न केवल एक देवता हैं, बल्कि ब्रह्मांड के संरचनात्मक क्रम के प्रतीक हैं।

सूर्य की यात्रा और विष्णु का संबंध

कुछ वैदिक मनीषी विष्णु के पगों को सूर्य की यात्रा—प्रभात, मध्यान्ह, और संध्या—से जोड़ते हैं। हालांकि ऋग्वेद में विष्णु को सीधे सूर्य नहीं कहा गया, लेकिन उनकी गति सौर चक्र से संबद्ध है।

इंद्र और विष्णु का सहयोग

ऋग्वेद के कई सूक्तों में इंद्र और विष्णु साथ-साथ कार्य करते हैं। RV VIII.12.27 में विष्णु अपने पग इंद्र के लिए बढ़ाते हैं, जबकि RV IV.18.11 में इंद्र विष्णु से पग बढ़ाने का आह्वान करते हैं। यह सहयोग ऋत (ब्रह्मांडीय समरसता) का प्रतीक है।

यज्ञ के रूप में विष्णु

ब्राह्मण ग्रंथों में विष्णु को यज्ञ का प्रतीक माना गया है। यज्ञ के माध्यम से ही वे लोकों के बीच गति करते हैं, जो तीन पगों की गूढ़ता को स्पष्ट करता है।

उत्तरवर्ती परंपराएँ और विष्णु का विकास

बाद की परंपराओं ने विष्णु को सूर्य, चक्र, और अवतारों से जोड़कर उन्हें व्यापक बनाया। यह विकास ऋग्वेद के ब्रह्मांडीय क्रम और यज्ञ की गति के अवधारणा का विस्तार है।

ऋग्वेद में विष्णु ब्रह्मांड के क्रम और यज्ञ की गति के जीवंत रूप हैं, जो बाद की परंपराओं में विस्तृत हुए। उनके त्रैविध पग आज भी ब्रह्मांड की एकता और समरसता का संदेश देते हैं।

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