मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की अमर गाथा
प्रस्तावना: भारतीय संस्कृति में यदि किसी चरित्र को मर्यादा, धर्म और आदर्श का जीवंत प्रतीक माना गया है, तो वह हैं भगवान श्रीराम। वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण केवल एक महाकाव्य नहीं, बल्कि एक नैतिक और आध्यात्मिक जीवनदर्शन है।
अयोध्या में दिव्य जन्म
राजा दशरथ ने अश्वमेध यज्ञ किया जिससे उन्हें चार पुत्र प्राप्त हुए—राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। श्रीराम गुण, चरित्र और शक्ति में सर्वोत्तम थे।
धनुष यज्ञ और विवाह
शिव का धनुष तोड़कर राम ने जनकपुत्री सीता से विवाह किया। यह विवाह केवल दो आत्माओं का नहीं, बल्कि धर्म और प्रेम के एक गहरे बंधन का प्रतीक था।
वनवास और त्याग
कैकेयी के वचन के कारण राम को चौदह वर्ष का वनवास मिला। राम ने पिता की मर्यादा हेतु राजपाट त्याग कर सीता और लक्ष्मण के साथ वन गमन किया।
रावण का छल और सीता हरण
रावण ने मारीच के माध्यम से सीता को छल से हर लिया और लंका ले गया। यह घटना राम के जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा बनी।
हनुमान और सेतु निर्माण
हनुमान ने लंका जाकर सीता का पता लगाया। फिर वानर सेना ने समुद्र पर सेतु बनाकर लंका पर चढ़ाई की।
रावण वध और रामराज्य
लंका युद्ध में राम ने रावण का वध किया और सीता को पुनः प्राप्त किया। अयोध्या लौटने पर उनका राज्याभिषेक हुआ और रामराज्य की स्थापना हुई।
सीता का त्याग और पृथ्वी में लीन होना
जनता की शंका के कारण सीता को वन में वाल्मीकि आश्रम में भेजा गया। लव-कुश के रूप में उन्होंने दो पुत्रों को जन्म दिया। अंत में सीता पृथ्वी माता में समा गईं।
राम का लोकत्याग
राम ने अंत में सरयू नदी में प्रवेश कर दिव्य धाम को प्राप्त किया। उन्होंने पृथ्वी पर धर्म और आदर्श की स्थापना की।
उपसंहार: राम न केवल एक राजा या महापुरुष थे, वे भारतीय आत्मा के प्रतीक हैं। उनका जीवन प्रत्येक युग में मार्गदर्शक रहा है।